हम हैं नन्हे मुन्ने बच्चे,
हमको आँख दिखाओ ना।
अभी उम्र है पढ़ने की,
हमसे काम कराओ ना।
कभी होटलों में हमसे तुम,
बर्तन साफ कराते हो।
कभी घरों में झाड़ू पोंछा,
और कपड़े धुलवाते हो।
शर्म करो कुछ तो बाबू जी,
ये बचपन हमसे छीनो ना।
हम हैं नन्हे………
कभी सेठ जी हम बच्चों से,
अपनी कार धुलाते हैं।
चौराहे पर भी कभी कभी,
जूते हमसे सिलवाते हैं।
सुन लो ये विनती बाबू जी,
क़हर हम पर तुम बरसाओ ना।
हम हैं नन्हे………
कारखाने और फैक्ट्री में,
तुम हमसे काम कराते हो।
पटाखों और हथगोलों में,
हमसे बारूद भराते हो।
अभी तो हम भी खिलौने हैं,
खिलौने हमसे बनवाओ ना।
हम हैं नन्हे………
हमको भी तो पढ़ लिख कर,
जग में नाम कमाना है।
अच्छे अच्छे काम करके,
भारत का मान बढ़ाना है।
है एक अरज मेरी बाबूजी,
हमको भी स्कूल भिजवाओ ना।
स्वरचित
सपना (सo अo)
जनपद-औरैया