जब पल पल पेड़ कटते जायेंगे ,
तब सब जंगल मैदान बन जायेंगे |
मानव तब बार बार पछतायेगा ,
जब सारे वे मरुस्थल बन जायेगे ||
जब पौधे सिमट गए हो गमलो में ,
प्रकृति सिमट गयी हो बंगलो में |
जब उजाड़ जायेगे घौसले पेड़ो से,
तब बन्द हो जायगे पक्षी पिंजरों में ||
जब गांव बस रहे हो नगरों में,
प्रदूषण फ़ैल रह हो नगरों में |
जहरीली हवा होगी चारो तरफ,
दम घुट जायेगा बंद कमरों में ||
जब वाहन रेंग रहे हो सड़को पर,
वे धुआँ उडा रहे हो सड़को पर |
तब मानव सांस कैसे ले पायेगा ?
वह दम तोड़ेगा अपना सड़को पर ||
तब प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखायेगी,
मानव से हर तरह से बदले चुकायेगी |
वह अपने नए रूप में जल्द आयेगी ,
कोरोना जैसी नई महामारी लायेगी ||
आर के रस्तोगी गुरुग्राम