
जीवन जल को मानिये,बिनु जल सब बेकार।
सरिता सागर सरोवर,सब जल के भंडार।।
जल नारायण जय जगदीशा।
तुम ही जीवन जग के ईशा।।1
नीर वारि जल पय औ पानी।
बहुत नाम पर्याय कहानी।।2
वरुण देव है जलके दाता।
वेद शास्त्र में है विख्याता।।3
जल के बहुता स्रोत कहाई।
सागर सरिता सरवर खाई।।4
कूप बावड़ी बोरिंग जानो।
हेंड पंप भी तुम पहचानो।।5
उनतिस प्रतिशत थल कहलाता।
शेष इकहत्तर सागर जाता।।6
जगह जगह बहु बांध बनाये।
रोका पानी बिजली पाये।।7
जल संरक्षण करना भाई।
भूजल इस्तर नीचे जाई।।8
जमना जी को जाके देखा।
काली होती इसकी देहा।।9
सारी नदियां छलनी करते।
रेत निकाली जेबें भरते।।10
गंदे नाले नदी मिलाते ।
पोली कूड़ा खूब बहाते।।11
कलपुर्जो से मलवे गिरते।
दूषित पानी जीवा मरते।।12
जलचर प्राणी जल में पलते।
नाव जहाजा सदा विचरते।।13
रुकते जल में पड़ती काई।
जो मानव को बड़ दुखदाई।।14
जीवजंतु भी मल को तजते।
सड़ते गलते उसमें मरते।।15
मानव ने भी धूम मचाई।
न्हाते धोते लाश बहाई।।16
पानी के बहु अर्थ है भाई।
चमक मान अरु जल कहलाई।17
मुख पे पानी चमक कहाता।
स्वाभिमान हित मान दिलाता।18
कम पानी से बहु बीमारी।
तन की हालत गिरती भारी।।19
दूषित पानी रोग सताते।
दस्त पीलिया हैजा आते।।20
टू एच ओ से पानी बनता।
सभी जीव के दुखड़ा हरता।।21
तीन अवस्था जल में पाते।
बरफ ठोस जल गैस कहाते।।22
वर्षा पानी शुद्ध कहाता।
भाप आसवन से बन जाता।।23
जीरो डिग्री पर जम जाता।
सौ डिग्री पर भाप बनाता।।24
रंग गंध नहि पड़े दिखाई।
स्वादा हीन विलायक भाई।।25
जल ही जीवन जल ही आशा।
कर संरक्षण जल विश्वासा।।26
सत्तर प्रतिशत तन में होता।
कम होने पर रोग सताता।।27
चलते ठाड़े जल नहि पीना।
धीरे पीना लम्बा जीना।।28
जल को रोके बांध बनाई।
होती जिससे फसल सिंचाई।।29
जल सिंघाड़े मोती आई।
जलसे बिजली मिलती भाई ।30
जल से करते साफ सफाई ।
जल से मछली पलती भाई ।।31
निर्मल पानी प्यास बुझाओ।
नदी सरोवर साफ कराओ।।32
जल ही चम्बल जल ही रेवा।
जल ही गंगा जल से सेवा।।33
भाखड़ नंगल ऊंचा मंदर।
चलती नहरें फसलें सुंदर।।34
गरमी आती सूख सरोवर।
पानी रोको देश धरोहर ।।35
जनम समय जल पूजन करते।
पल पल जीवन जल से भरते।36
अंत काल गंगा जल पाते।
वे नर भवसागर तर जाते।।37
जल ही आशा जल विश्वासा।
जल से तरना अंतिम सांसा।।38
जल के जैसा रहना भाई।
मन को मारें करें भलाई।।39
जो भी जल संरक्षण करता।
पाय पुण्य खुशियों को भरता।40
जल ब्रहा जल विष्णु कहो,जल जीवन आधार।
जल शिव का अभिषेक है,कहत है कवि विचार।।
डॉ दशरथ मसानिया
आगर मालवा म प्र