#पुखराज छाजेड़
परिचय : जयपुर के निवासी पुखराज छाजेड़ करीब 10 वर्ष से लगातार लेखन में सक्रिय हैं। जयपुर(राजस्थान) में व्यवसायी होने के बाद भी बतौर रचनाकार आप सतत सक्रिय हैं।
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साँसों में मन्द सौरभ भरकर,
लुक-छिपकर चलते हो क्यों?
हे,लाज भरे सौंदर्य बता दो,
‘मौन’ बने रहते हो क्यों ?
पूर्ण चंद्र की धवल चांदनी,
अदृश्य बने रहते हो क्यों?
पंथ आपका निर्बाध,फिर,
कदम पीछे हटाते हो क्यों?
जटिल प्रश्नों के सक्षम उत्तर,
बन तटस्थ रहते निरुत्तर,
हे प्रतिभा के ‘धनी’ बता दो,
बुद्धि-कलश छुपाते हो क्यों?
प्रियतम हृदय के मुक्ताकाश में,
उड़ते हो बनकर निर्भय,
अनंत आकाश के प्रहरी बता दो,
‘सीमा’ में बने रहते हो क्यों ?
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