कोरोना की मार

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मँहगी सब्जी मँहगी दाल
मँहगा हुआ अचार है
कोरोना के सँग सँग देखो
मँहगाई की मार है।
मची है देखो मारामारी
गजब बड़ा ये ढा रही
चरम पे कालाबाजारी
जन जन को है रुला रही
जीवन वायु को न छोड़ा
कितना भ्रष्टाचार है
कोरोना के संग,,,
हर वो चीज हुई मँहगी जो
बीमारी में काम आये।
एम्बुलेंस वाला तिगुने ले
तब हॉस्पिटल पहुंचाए।
पेट्रोल के दाम करेंगे
शीघ्र ही शतक भी पार है।
कोरोना के,,,,
प्राइवेट अस्पतालों के बिल
देख पसीना छूटे है।
बैठे अच्छे अच्छों के दिल
हाय ये कितना लूटे हैं
जेबें भरने की बस सोचें
भूल कर्तव्य पुकार है।
कोरोना केसंग।

रश्मि लता मिश्रा
सरकंडा,बिलासपुर

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