इंसान की गलतियों का
फल भोग रहे हम।
यही दुर्भाग्य हमारा
यही दुर्भाग्य हमारा।।
विश्वगुरु बनने के चक्कर में
दो देश में छिड़ गई जंग।
बाकी पीछे पीछे हो लिए
देकर अपना समर्थन।
सबके लिए मिला है
अब ये प्रसाद बराबर।।
यही दुर्भाग्य हमारा
यही दुर्भाग्य हमारा।
इंसान की गलतियों का
फल भोग रहे हम।।
हरके देश से कहो के
ये जिद्द छोड़ दे अब वो।
छोटे और बड़े देश में
रखे नहीं कोई फर्क अब।
इस धरती पर हो प्यार का
हर देशों में उजियारा।
यही संदेश हमारा
यही संदेश हमारा।
इंसान की गलतियों का
फल भोग रहे हम।
यही दुर्भाग्य हमारा
यही दुर्भाग्य हमारा।।
जय जिनेंद्र देव
संजय जैन, मुंबई