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चाहे धरती हो या आकाश
बिन माँ के ये भी रहे उदास ।
बच्चों की हों पूरी हर आस
रब से करें यही माँ अरदास ॥
रखती न कभी माँ अवकाश
खुशियों के लिए रखें उपवास ।
माँ का आंचल न जाने क्यों है
खुदा भी करता है तलाश ॥
माँ ने रखा सर पर जब – जब हाथ
मानों भगवान चल रहे हो मेरे साथ।
माँ हीं साया बनकर रहती आसपास
तभी तो हर परीक्षा में हुए हम पास ।।
गोपाल कौशल
नागदा जिला धार मध्यप्रदेश
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