भारत माता एक बार फिर लहूलूहान हुई
अपनो के खून से गूस्से में लाल हुई
मिट चुका चालीस चमकता सितारा
गूस्से में हर तरफ धधक रहा अंगारा
अपनो को खोकर भी माताएँ
पुत्र मोह में न कभी परेशान हुई
देश सेवा और बदले की खातिर
पोते को फौज में डालने को तैयार हुई।
यह देश है सूरवीरों का यहाँ न मतभेद
अलग-अलग मजहब जाति फिर भी एक
देश की आन बान शान की खातिर
हर घर से कर्नल निकलेगा
कही छुप जाओगे देश न अब छोडेगा।
दृढ़ संकल्प और निश्चय के साथ
हर युवा और नागरिक का साथ
देख रहा हूँ क्रोध की ज्वाला
मिल रहा है सैनिकों को साथ।
क्रांति है हर उस आतंक का
जो निर्दोषों की रक्त से लहूलूहान
दृढ फैसले से हो समाधान
हर हिन्दुस्तानी की है माँग।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति