म प्र आगर मालवा के शासकीय उत्कृष्ठ उ मा वि मे कार्यरत साहित्यकार, योगी, लगनशील, परिश्रमी, प्रयोगधर्मी, नवाचारी शिक्षक डाॅ दशरथ कुमार गवली ‘मसानिया’ का जन्म 13 मई 1966 को एक ग्वाला समाज के निर्धन परिवार में हुआ। जन्म के दो वर्ष बाद ही पिताजी ने संयास ले लिया,अतः माता ने पालन पोषण किया। पशु चारण के साथ ही तीक्ष्ण बुद्धि देखकर शिक्षक ने सीधे 5 वी कक्षा में भरती कर लिया,नियमित छात्र के रूप में 11 वी तक अध्ययन किया। कालेज की पूरी शिक्षा स्वाध्यायी रूप से तीन भाषाओं में स्नातकोत्तर तथा हिन्दी में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से पीएच-डी डिग्री हांसिल की।
विगत 36 सालों से म प्र शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं।
सन 2005 में पहली बार मालवी की 1000 लोक कहावतें ‘ मालवी केवातां’ पुस्तक प्रकाशित कर एक नया शोध किया। सन 2006 में 235 समूह में समान ध्वनियों पर आधारित पांच स्वरों में विभाजित अंग्रेजी के 1000 शब्द,तीन राईम्स आदि बाल शब्दकोष ‘ मेक इंगलिश इज़ियर’ पुस्तिका के तीन संस्करण प्रकाशित।
2009 में भाषासूत्र पुस्तिका में एक चौथाई कागज में संस्कृत व्याकरण सार भी चर्चित नवाचार है। 2012 में बेटी चिरैया काव्य संग्रह 220 दोहे दो बार पुरस्कृत।
2013 में थाने बेटी मारी पेट में 210 दोहों मे भी चर्चित।
इसी प्रकार 2018 में गणित में भी सूत्र,अवधारणा, विभाजन नियम,परिभाषायें,पहाड़े,संख्या,फंडे आदि 68 दोहे ” गणित ज्ञान को गाइये” पुस्तिका में लिखे हैं।
हिंदी भाषा के प्रचार- प्रसार, सरलीकरण तथा संक्षेप में शिक्षण के लिये गायन नवाचार किया है। हिन्दी में 20 पुस्तिकाओं का लेखन किया।
हिन्दी के पांच अध्याय जिसमें 220 दोहा व चौपाइयों ( 4 चालीसा ) में 2019 में लिखकर देश में नया रिकार्ड बनाया है। 100 दोहों हिन्दी इतिहास,40 में व्याकरण,40 में गद्य साहित्य की विधायें तथा 40 में रस,छंद,अलंकार,शब्द शक्ति तथा गुण है। साथ ही इसमें लेखक /कवियों के कालानुसार फोटो ,काल, रस,छंद ,व्याकरण तालिकायें भी समाहित है।
लाकडाउन में एक वर्ष में अप्रेल 2020 से मार्च 2021 तक 55 चालीसा लिखकर एक रिकार्ड चर्चित।
इन नवाचारों को राजस्थान,उ प्र, हरियाणा,पंजाब,उत्तराखंड आदि 100 से अधिक संस्थाओं ने सम्मानित किया है।
इसके अलावा उल्लेखनीय शैक्षणिक कार्यो का मूल्यांकन करते हुये म प्र शासन ने भी 16.3.2007 को आचार्य सम्मान तथा 5.9.2019 को राज्यपाल सम्मान देकर सम्मानित किया है।
डाॅ मसानिया नवाचारो़ की समय समय पर कई विद्वानों,साहित्यकारों तथा पत्र पत्रिकाओं ने भी पुष्टि की है। जिसे गूगल, फेस बुक,यु ट्युब आदि सोशल मीडिया पर भी देखा पढ़ा जा सकता है।