जब मिले गुरुके दर्शन
जब मिले प्रभुके दर्शन।
देखकर गुरु प्रभु को
हो जाता श्रावक धन्य ।। २
ज़िंदगी की दास्तां,
चाहे कितनी हो हंसीं
बिन गुरुके कुछ नहीं,
बिन प्रभुके कुछ नहीं।।
क्या मज़ा आता मुनिवर,
आज भूले से कहीं
गुरुवर भी आजाते यहाँ,
मुनि संघ के सहित
देखकर प्रभुका समोशरण
वो भी रह जाते दंग।
इतनी सुंदर दृश्य यहाँ का
देखकर हो जाते धन्य।।
जब मिले गुरुके दर्शन
जब मिले प्रभुके दर्शन।।
ये नजारा जिनेंद्रालाय का
और फिर दिव्य ध्वनि
हाय रे ये स्वर्गलोक
हाय रे ये स्वर्ग लोक।।
ऐसा लगता हैं मुझे,
जैसे मैं स्वर्गलोक में हूँ।
इस लोक से जान ए जां
इस लोक से जान ए जां।
सुन के उनकी वाणी
मेरी आत्मा प्रसन्न हुई।
आज से पहले यह
सब कभी देखा नहीं।।
जब मिले गुरुके दर्शन
जब मिले प्रभुके दर्शन।
देखकर गुरु प्रभु को
हो जाता श्रवाक धन्य।।
जय जिनेंद्र देव
संजय जैन, मुंबई