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खूब लड़ी मर्दानी बन
झांसी वाली रानी बन
कब तलक लाचार रहे
तू अवंती सी कहानी बन
रुकना नही बढ़ती चल
धारा प्रवाह सा पानी बन
उठा तलवार जुल्म से लड़
नम्र नहीं अब तूफानी बन
हे नारी कब तक अपमान सहे
तू अब शौर्य की निशानी बन
किशोर छिपेश्वर”सागर”
भटेरा चौकी बालाघाट
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