जब भी मैं कोई फिल्म देखता हूँ तो मुझे यह देखकर अत्यंत क्षोभ होता है कि फिल्म हिंदी की हो या किसी अन्य भारतीय भाषा की फिल्म का नाम और कलाकारों के नाम आदि विवरण केवल अंग्रेजी में ही होता था। हिंदी में यह प्रवृत्ति सर्वाधिक है। जो आदमी मराठी, हिंदी या तेलुगू आदि भाषा की फिल्म देख है तो उसे वह भाषा आती ही होगी, जरूरी नहीं कि उसे अंग्रेजी भी आती हो। इस प्रकार यह न केवल उस भाषा का और उस भाषा के दर्शकों का अपमान है, जिस भाषा की फ़िल्म निर्माता बनाते हैं, बल्कि यह कलाकारों और दर्शकों के साथ भी अन्याय है। लेकिन अंग्रेजी की बेतुकी भेड़चाल के सामने सब बेबस हैं। समझ नहीं आता था कि क्या किया जाए ।
करीब 20-22 वर्ष जब मैं केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड जिसे सब सेंसर बोर्ड के रूप में जानते हैं, उनके किसी कार्यक्रम में अतिथि के रूप में गया तो मैंने वरिष्ठ अधिकारियों के सम्मुख यह बात रखी थी। लेकिन उऩ्होंने कहा, साहब यह तो हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। आपकी बात सही हैलेकिन हम कुछ नहीं कर सकते । एक अर्से बाद करीब 2 वर्ष पूर्व की बात है जब मैं केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के कार्यालय में व्याख्यान देने के लिए गया था। व्याख्यान के पश्चात मेरी वहां के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी से भाषा संबंधी कई विषयों पर चर्चा हुई। मैंने अवसर देख कर फिर वही मुद्दा उठाते हुए उनसे कहा कि आप ऐसा कोई प्रावधान क्यों नहीं करते कि धारावाहिकों और फिल्मों के शीर्षक उसके कलाकारों के नाम आदि उसी भाषा में दिए जाएं जिस भाषा का वह कार्यक्रम, धारावाहिक या फिल्म है।
वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने मेरी बात से सहमत होते हुए अपने कक्ष में लगा हुआ टीवी चालू किया और मुझे एक दो टी.वी. कार्यक्रम दिखाए जिनमें कार्यक्रम जिस भाषा में था, कलाकारों आदि का विवरण भी उसी भाषा में ही दिया गया था। उन्होंने बताया कि कुछ समय पूर्व ही इस प्रकार की निर्देश जारी किए गए हैं और अभी उनका पालन हो रहा है। यह कुछ समय पहले ही कर दिया गया था, लेकिन शायद हमारा ध्यान उस पर नहीं गया था। मैंने इस कार्य के लिए उन्हें बघाई दी।
मैंने कहा कि फिल्मों में भी इसी प्रकार फिल्म का नाम और कलाकारों के नाम आदि फिल्म की भाषा में ही होने चाहिए। उन्होंने सहमति जताते हुए कहा कि बात तो एकदम सही है, लेकिन काम थोड़ा मुश्किल है लेकिन वे पूरा प्रयास करेंगे। मैंने इस संबंध में बोर्ड के अध्यक्ष प्रसुन जोशी जी से मिलने की बात कही। पता लगा कि वे उस दिन कार्यालय में नहीं थे। उन्होंने कहा कि वे इस संबंध में बोर्ड के अध्यक्ष प्रसुन जोशी जी से भी चर्चा करेंगे और मंत्रालय को भी मेरे सुझाव के संबंध में लिखेंगे। शायद कोई रास्ता निकले। उनकी बातों में भारतीय भाषाओं के प्रति आत्मीयता भी थी और गंभीरता भी। इसके बाद कई बार फोन पर बात भी हुई वे भी ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ गूगल समूह से जुड़े।
फिर बात आई-गई हो गई। मैं भी भूल गया। प्रस आज जब मैंने पढ़ा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने फिल्म का नाम और कलाकारों आदि का विवरण फिल्म की भाषा में लिखने के लिए कहा है तो बहुत ही खुशी हुई । इतने समय बाद मैं उनका नाम भी विस्मृत हो गया। नाम याद नहीं तो फोन नंबर भी कैसे तलाशता ? लेकिन उन्हें और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड तथा सूचना और प्रसारण मंत्रालय के वे सभी अधिकारी जिनका इस निर्णय में योगदान है, उन्हें मेरी तरफ से तथा वैश्विक हिंदी सम्मेलन, सभी भारतीय भाषा प्रमियों और भारतवासियों की ओर से इस निर्णय के लिए हार्दिक धन्यवाद। 🙏
आशा है कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के इस निर्णय के पश्चात भारतीय भाषाओं की फ़िल्मों में शीर्षक और आभार सूची अब फ़िल्म की ही भाषा में दिखेंगे ।
डॉ एम एल गुप्ता ‘आदित्य’