0
0
Read Time40 Second
उत्तरायण होकर सूर्य
पतंग संग करें मस्ती ।
तिल – गुमूंगफली
बिना बेगानी संक्रांति ।।
दूर करती खुशियों से
मन में फैली जो भ्रांति ।
देती रिश्तों में मिठास
मतभेद मिटाती संक्रांति ।।
ऊंची उड़ान भरें सद्भाव
प्रेम से रहना सिखलाती ।
पोंगल तो कही लोहडी
रुप में मनातें हैं संक्रांति ।।
#गोपाल कौशल
परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।
Post Views:
403