मैं अब अबला नादान नहीं हूं ..
दबी हुई पहचान नहीं हूं ..
रखती अंदर खु़द्दारी हूं।
हां मैं उत्तर प्रदेश की नारी हूं।
अपने आत्मबल से जीती हूं।
शिक्षित समाज को रचती हूं ।
नए भारत को निर्मित करने निकली हूं।
हां ,मैं उत्तर प्रदेश प्रेरक प्रदेश की नारी हूं।
प्रेरणा से दीक्षा लेकर, प्रेरक प्रदेश की ओर चली ।
बदली बयार बेसिक शिक्षा की,
सुरभित है हर गली-गली ..
ग्रामीण अंचल के बच्चों की किस्मत बदलने आ रही हूं ..
हां, मैं प्रेरक प्रदेश की नारी हूं ,,
हां ,मैं उत्तर प्रदेश की नारी हूं।।
रचयिता
डा० स्नेहिल पांडेय
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका
प्राथमिक विद्यालय सोहरामऊ, उन्नाव