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दो धुरी की सृष्टि सारी
एक है नर एक है नारी
छोटा बड़ा नही है कोई
इन्ही से बनती सृष्टि सारी
बिन नारी के पुरुष अधूरा
पुरुष बिन अधूरी है नारी
दोनों पूरक एक दूजे के
सृष्टि दोनों से चलती सारी
नारी बिना घर नही बनता
नारी से ही संस्कार पनपता
जहां नारी का सम्मान नही
समझो अच्छे संस्कार नही
मां,बहन,और बेटी है नारी
युगल रूप में गृहस्थी संवारी।
#श्रीगोपाल नारसन
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