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आओ बसंत पंचमी मनाए,
नील गगन में पतंग उड़ाए,
मां सरस्वती करे हम पूजा,
उसको अपना शीश झुकाये ।
पीले पीले फूल है खिलते,
जीवन के आनंद है मिलते,
करते स्वागत वसंत ऋतु का,
शरद ऋतु को विदा हम करते।
बसंती चोला पहने इस दिन,
मन बसंती होता है इस दिन,
चारों तरफ है बसंत की शोभा
सबसे सुंदर लगते हैं ये दिन।।
बसंत ऋतु ऋतुओ का राजा
दिल में बजता है एक बाजा,
मन भी हो जाता है चंचल,
प्रारम्भ होते हैं शुभ काजा।।
रामकृष्ण रस्तोगी
गुरुग्राम
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