बहुत सोच विचार कर
लेखक कवि लिखते है।
अपने दिलके अल्फाजो को
अपनी कलम से लिखते है।
जो पाठकों के चेहरो पर
मुस्कान ले आती है।।
कभी अपनी कमियों को तो
कभी समाज की कमियों को।
वो अपनी लेखनी से
सदा उजागर करते हैं।
और उन क्रूतियों को
समाज से दूर करवाते है।
तभी तो कवि लेखको को
समाज का दर्पण कहते है।
जो एक सभ्य समाज का
देश में निर्माण करवाता है।।
बदल जाती है काया
समाज गाँव और शहरों की।
इसका श्रेय भी कवि और
लेखको को दिया जाता हैं।
जो सोये लोगों को जगाकर
नई क्रांति को जन्म देते है।
और देश को उन्नति के
पथ पर ले जाते है।।
देश का लेखक कवि
अपना फर्ज निभाता है।
और देश की प्रगति में
अपना योगदान देता है।।
जय जिनेंद्र देव
संजय जैन (मुंबई)