महामहिम कार्यालय से संघ की राजभाषा नीति के अनुपालन का अनुरोध।

0 0
Read Time3 Minute, 38 Second

महोदय,
राष्ट्रपति सचिवालय से हिन्दी में प्रेस विज्ञप्तियाँ जारी नहीं की जा रही हैं और न ही वेबसाइट पर प्रकाशित की जा रहीं हैं। राष्ट्रपति सचिवालय में धारा 3(3) का उल्लंघन भी हमेशा किया जाता है।

1) 19 अगस्त 2020 को सचिवालय द्वारा अंतिम बार हिन्दी में “भारत के राष्ट्रपति ने डॉ. शंकर दयाल शर्मा की जयंती पर उनके चित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की” शीर्षक से विज्ञप्ति वेबसाइट पर अपलोड की गई थी। उसके बाद से 4 महीनों से एक भी विज्ञप्ति हिन्दी में अपलोड नहीं की गई है।

2) राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा कभी भी हिन्दी विज्ञप्तियाँ पत्र सूचना कार्यालय को नहीं भेजी जाती हैं, हिन्दी में जारी विज्ञप्तियाँ अंग्रेजी की मूल विज्ञप्ति के साथ ही पत्र सूचना कार्यालय को भेजने का निर्देश दें। प्रमाण के लिए पत्र सूचना कार्यालय का पत्र संलग्न है। पत्र-सूचना कार्यालय (“पसूका”) ने सूचना का अधिकार अधिनियम के अधीन 6 मई 2013 को लगाये गए आवेदन के उत्तर में बताया था कि गृह मंत्रालय का मासिक रिपोर्ट कार्ड एवं संघ लोक सेवा आयोग के परीक्षा परिणाम के अलावा अन्य किसी भी सरकारी विभाग /आयोग/मंत्रालय/कार्यालय से हिन्दी में विज्ञप्ति नहीं आती है. केवल अंग्रेजी में विज्ञप्तियाँ उनके पास आती हैं. यहाँ तक की प्रधानमंत्री कार्यालय, लोकसभा सचिवालय और राष्ट्रपति भवन से भी विज्ञप्तियाँ हिंदी में जारी नहीं की जाती हैं। नवीनतम् पत्र 9 नवंबर 2020 (संलग्न) के माध्यम से पत्र सूचना कार्यालय ने बताया है कि 1 अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 की अवधि में उसे 4554 प्रेस विज्ञप्तियाँ केवल अंग्रेजी भाषा में प्राप्त हुई.

3) राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा सभी निविदाएँ केवल अंग्रेजी में जारी की जाती हैं, यह उल्लंघन लगातार जारी है। प्रमाण के लिए राष्ट्रपति सचिवालय का पत्र संलग्न है।

4) राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा सभी भर्ती सूचनाएँ केवल अंग्रेजी में जारी की जाती हैं, यह उल्लंघन लगातार जारी है। प्रमाण के लिए राष्ट्रपति सचिवालय का पत्र संलग्न है।

5) राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा राजभाषा नियमावली के नियम 11 का उल्लंघन भी किया जाता है, अधिकारियों की रबर मुहरें, पत्रशीर्ष, शिलापट, बैनर आदि केवल अंग्रेजी में तैयार करवाए जाते हैं, यह उल्लंघन लगातार जारी है। प्रमाण के लिए राष्ट्रपति सचिवालय का पत्र संलग्न है।

भवदीय |

प्रवीण कुमार जैन

नवी मुम्बई (भारत)

matruadmin

Next Post

चिंतन

Tue Dec 22 , 2020
स्वस्थ चिंतन से ज्ञान बढेगा व्यर्थ चिंतन से तनाव बढ़ेगा स्वस्थ मन से प्रबल हो बुद्धि चिंचित मन से दुर्बल हो बुद्धि मन को शांत रखने की युक्ति व्यर्थ चिंतन से पा लो मुक्ति राजयोग जीवन मे अपना लो स्थिर मन का आधार बना लो नही रहेगी फिर कोई विपदा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।