टूटे हुए दिल को फिर से जोड़ने आया हूँ,
मैं तुम्हारे दिल में घर अपना बनाने आया हूँ।
तुम रुठी रहो मुझसे अनोखे से अंदाज में,
मोहब्ब्त भरे अंदाज से तुम्हें मनाने आया हूँ।
गई थी तुम,मेरी चाहत की गली छोड़कर,
आज अपने दिल में तुम्हें बसाने आया हूँ।
ओ प्रिये,अब मान भी
जाओ,
प्यार भरी कायनात
साथ लाया हूँ।
वादा है कभी होगा नहीं जहाँ पतझड़,
मोहब्बत की सौगात साथ लाया हूँ।
तुम्हारे सिवा बची नहीं कोई चाहत,
हसरतों के सब द्वार बंद कर आया हूँ।
लगा लो गले,भर लो न मुझे बाँहों में,
साँसों की बहुत थोड़ी मोहलत लाया हूँ।
अटकी है जान बस तुम्हारी नजर को,
खुदा से जिंदगी को,दो पल उधार लाया हूँ।
#सौरभ जैन(उज्जवल)
परिचय : रचनाकार बनाने की दिशा में सौरभ जैन का प्रयास जारी है। रामपुर मनिहारिन( जिला-सहारनपुर) के निवासी हैं और बी.कॉम.कर लिया है। २२ वर्ष के सौरभ शायरी व छंदमुक्त काव्य रचना को अधिक पसंद करते हैं।