क्योंकि मैं मजदूर हूं,
तन से भी और मन से भी
बोझा उठाता हूं।
क्योंकि मैं मजदूर हूं?
खिलाता,खाता कमाकर के
निठल्ला कहलाता हूं।
क्योंकि मैं मजदूर हूं?
हर आते और जाते को
ठोंकता सलाम हूं।
क्योंकि मैं मजदूर हूं।
मजदूरी सभी को खलती,
खैरात में पलता हूं।
क्योंकि मैं मजदूर हूं?
एसी चढ़ाता,कूलर लगाता
धूप में चलता हूं।
क्योंकि मैं मजदूर हूं?
प्यार,सम्मान,जान भी देता हू्ं,
टुकड़ों पर पलता हूं।
क्योंकि मैं मजदूर हूं?
#राजबाला ‘धैर्य’
परिचय : राजबाला ‘धैर्य’ पिता रामसिंह आजाद का निवास उत्तर प्रदेश के बरेली में है। 1976 में जन्म के बाद आपने एमए,बीएड सहित बीटीसी और नेट की शिक्षा हासिल की है। आपकी लेखन विधाओं में गीत,गजल,कहानी,मुक्तक आदि हैं। आप विशेष रुप से बाल साहित्य रचती हैं। प्रकाशित कृतियां -‘हे केदार ! सब बेजार, प्रकृति की गाथा’ आपकी हैं तो प्रधान सम्पादक के रुप में बाल पत्रिका से जुड़ी हुई हैं।आप शिक्षक के तौर पर बरेली की गंगानगर कालोनी (उ.प्र.) में कार्यरत हैं।
मजदूर की व्यथा को उजागर करती एक उम्था रचना ।