भीगा-भीगा प्रेम

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“कभी-कभी बहुत छोटी सी बात ग्रंथि बन जाती है जो बाद में किसी न किसी बीमारी के रूप में बाहर आती है इसलिए मन की बात कह देना बहुत जरूरी है ।आज मौका है आपके लिए अगर आप किसी को सॉरी बोलना चहाते हैं तो घबराएं नहीं, कहकर खुद को हल्का कर लें” कहते हुए वो मोटिवेशनल स्पीकर ने सामने बैठे श्रोताओं से बोलने का आग्रह किया।

कुछ देर मौन पसरा रहा। थोङ़ी देर बाद शुभम् उठा, धीरे-धीरे कहना शुरू किया “सर, बहुत वर्षों से अपनी पत्नी को सॉरी बोलना चाहता था पर नहीं बोल पाया।

बात उस समय की है।जब बङ़े भैया की शादी हुई। शादी गांव में थी। दो दिन के बाद हम सब लोग शहर के लिए रवाना हुए पर हम शहर पहूंचते इससे पहले ही एक जबरदस्त एक्सीडेंट में हमने भैया को खो दिया। परिवार पर वज्रपात….जब परिवार संभला तो बहू की सूनी मांग का ख्याल आया। हाथों की मेहंदी उतरने से पहले जिसका जीवन उजाङ़ हो गया था अब उसके बारे में सोचना था। पिताजी का ख्याल था कि जो हो गया सो हो गया पर अब इस लङ़की को बिलखते नहीं देख सकते।सब कुछ ठीक करने के लिए इसकी शादी छोटे बेटे के साथ हो जाए तो अच्छा रहेगा। मुझसे पूछा गया पर पारिवारिक स्थितियों को देखते हुए मैं कुछ कहने की स्थति में नहीं था। हमारी शादी हो गई पर अप्रत्याशित इस घटनाक्रम को मैं शायद हजम नहीं कर पाया था फलत: एक लम्बा समय बीतने के बाद ही मैं अपने पति धर्म का पालन कर पाया।आज हमारे दो बच्चे हैं…., हम खुशहाल दंपति हैं…..,अगले दो साल बाद हम अपनी सिल्वर जुबली मनाएंगे…. पर शुरू के दो वर्ष मेरी पत्नी ने कैसे गुजारे होंगे…., कैसे बिना प्रेम के भी वो मेरे प्रति समर्पित यह पाई होगी…., कैसे कभी किसी को अहसास तक नहीं होने दिया कि बंद कमरे में भी हमारी दिशाएं अलग-अलग थी…., कैसे धीरे-धीरे उसने मेरे मन में जगह बनाई….. ऐसे बहुत से प्रश्न जो मैं पूछना चाहता था पर कभी पूछ नहीं पाया…. बहुत बार माफी मांगना चहाता था….., बताना चाहता था कि उन दिनों मैं किस कशमकश से गुजर रहा था….., माफी मांगना चाहता था…., पूजा करना चाहता था कि उसने बिना किसी प्रतिवाद के हमारे मां-पिताजी की बात को माना और सदैव उसका मान रखा….. कहते-कहते फफक-फफक कर रो पङ़ा शुभम्। श्रोताओं के बीच बैठी पत्नी की आंखों से आंसुओं की गंगा प्रवाहित हो रही थी।

भीगे-भीगे से इस प्रेम ने वहां बैठे हर श्रोता की आंख को भिगो दिया था।

डॉ पूनम गुजरानी
सूरत

matruadmin

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।