तो तलाक ही दे देते…

0 0
Read Time3 Minute, 42 Second

aadil

यशोमति खुश थी,पति डीएम बन गया था कि,चलो पास न सही दूर है,पर मेरे तो हैं..। भारतीय नारी की तरह सारे गम भुला चुकी थी। पति के इतने बरसों के बेरुख़ेपन के बावजूद ईष्ट का शुक्र मना रही थी। उम्मीद तो बिलकुल नहीं थी कि,उसका पति अपना लेगा,पास बुला लेगा। हां,सोच रही थी कि वो उसकी ख़बर जरूर लेगा।
इसी बीच टेलीविज़न पर डीएम नरेश के परिवार की ख़बर आती है। नरेश अपनी माँ से मिलने जाता है।यशोमति की आस जागती है कि अब तो मुझे याद करेंगे। सोचती है कि दुःख भरे दिन भले न टले,लेकिन अपनी इस कामयाबी को मेरे पति मेरे साथ जरूर बांटेंगे। भले ही उन्होंने मुझे संघर्ष में साथ खड़े रहने का मौका नहीं दिया,लेकिन वो ख़ुशी में तो मुझे जरूर याद रखेंगे। वो अपनी उन यादों में खो जाती है, जब माँ उसे त्याग-समर्पण के किस्से सुनाया करती थी। वो भी सपने बुना करती थी कि, उसका पति जब किसी परेशानी में होगा,उसका हर कदम पर साथ देगी,संघर्ष में कभी उसका हाथ नहीं छोड़ेगी। जब सारा जमाना उसके खिलाफ होगा तो वो उसका हौंसला बढ़ाएगी,और जब वो कामयाब होगा तो कहेगा कि मेरी कामयाबी के हर कदम की तुम हिस्सेदार हो… तुम मेरी सही अर्धाग्नी हो…तुम्हारे बिना मैं अधूरा हूं…। ये सोचते ही वो रोमांचित हो उठती..उसे संपूर्ण नारी होने का एहसास होता और उसकी आँखों की चमक देखते ही बनती है…।
खबरिया चैनल पर नरेश के किस्से सुनते-सुनते उसकी आँखों से आँसूओं की धार नज़र आने लगती है।
नरेश ने उससे संपूर्ण नारी होने का एहसास छीन लिया था,उसका नारीत्व अधूरा था, जिस ओज़,जिस त्याग,जिस समर्पण के उसने सपने देखे थे वो धराशायी हो गए थे। वो बिलकुल अकेली-अधूरी थी..। वो सोच रही थी कि उसका कसूर क्या था, जो उसे पत्नीधर्म निभाने का भी अधिकार नहीं दिया गया। इससे तो वो शादी ही न करती,रस्म के रिश्ते से आज़ाद तो रहती..। वे खुद से अपनी किस्मत की शिकायत ही कर रही थी कि,दरवाजे की कुण्डी बजती है और यशोमति की तन्द्रा टूटती है। दरवाजा खोलते ही पुलिस अधिकारी घर में घुसते हुए कहते हैं हम आपकी हिफाज़त के लिए आए है..आपको विशेष सुरक्षा के घेरे में रखा जाएगा…और फिर बिना किसी जिम्मेदारी के ही वो वीवीआईपी हो गई…उसकी बची-कुची आज़ादी भी अब सुरक्षा कर्मियों के हवाले थी..!

                                                                           #आदिल सईद

परिचय : आदिल सईद पत्रकारिता में एक दशक से लगातार सक्रिय हैं और सामाजिक मुद्दों पर इन्दौर से प्रकाशित साँध्य दैनिक पत्र में अच्छी कलम चलाते हैं। एमए,एलएलबी सहित बीजे और एमजे तक शिक्षित आदिल सईद कला समीक्षक के तौर पर जाने जाते हैं। आप मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इन्दौर में रहते हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

शेर की तरह तुम झपटो..

Tue May 16 , 2017
व्यथित है मेरी भारत मां,कैसे छंद प्यार के गाऊँ, कैसे मैं श्रृंगार लिखूं,कैसे तुमको आज  हंसाऊंl कलम  हुई आक्रोशित,शोणित आखर  ही लिख पाऊँ, वीर शहीदों की शहादत को,शत-शत शीश झुकाऊँll सिंदूर उजड़ गया माथे का,कंगना चूर-चूर टूटे, शहीद की विधवा के,पायल बिंदिया काजल छूटेl हृदय भी काँप गया,आँखों से खून […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।