यशोमति खुश थी,पति डीएम बन गया था कि,चलो पास न सही दूर है,पर मेरे तो हैं..। भारतीय नारी की तरह सारे गम भुला चुकी थी। पति के इतने बरसों के बेरुख़ेपन के बावजूद ईष्ट का शुक्र मना रही थी। उम्मीद तो बिलकुल नहीं थी कि,उसका पति अपना लेगा,पास बुला लेगा। हां,सोच रही थी कि वो उसकी ख़बर जरूर लेगा।
इसी बीच टेलीविज़न पर डीएम नरेश के परिवार की ख़बर आती है। नरेश अपनी माँ से मिलने जाता है।यशोमति की आस जागती है कि अब तो मुझे याद करेंगे। सोचती है कि दुःख भरे दिन भले न टले,लेकिन अपनी इस कामयाबी को मेरे पति मेरे साथ जरूर बांटेंगे। भले ही उन्होंने मुझे संघर्ष में साथ खड़े रहने का मौका नहीं दिया,लेकिन वो ख़ुशी में तो मुझे जरूर याद रखेंगे। वो अपनी उन यादों में खो जाती है, जब माँ उसे त्याग-समर्पण के किस्से सुनाया करती थी। वो भी सपने बुना करती थी कि, उसका पति जब किसी परेशानी में होगा,उसका हर कदम पर साथ देगी,संघर्ष में कभी उसका हाथ नहीं छोड़ेगी। जब सारा जमाना उसके खिलाफ होगा तो वो उसका हौंसला बढ़ाएगी,और जब वो कामयाब होगा तो कहेगा कि मेरी कामयाबी के हर कदम की तुम हिस्सेदार हो… तुम मेरी सही अर्धाग्नी हो…तुम्हारे बिना मैं अधूरा हूं…। ये सोचते ही वो रोमांचित हो उठती..उसे संपूर्ण नारी होने का एहसास होता और उसकी आँखों की चमक देखते ही बनती है…।
खबरिया चैनल पर नरेश के किस्से सुनते-सुनते उसकी आँखों से आँसूओं की धार नज़र आने लगती है।
नरेश ने उससे संपूर्ण नारी होने का एहसास छीन लिया था,उसका नारीत्व अधूरा था, जिस ओज़,जिस त्याग,जिस समर्पण के उसने सपने देखे थे वो धराशायी हो गए थे। वो बिलकुल अकेली-अधूरी थी..। वो सोच रही थी कि उसका कसूर क्या था, जो उसे पत्नीधर्म निभाने का भी अधिकार नहीं दिया गया। इससे तो वो शादी ही न करती,रस्म के रिश्ते से आज़ाद तो रहती..। वे खुद से अपनी किस्मत की शिकायत ही कर रही थी कि,दरवाजे की कुण्डी बजती है और यशोमति की तन्द्रा टूटती है। दरवाजा खोलते ही पुलिस अधिकारी घर में घुसते हुए कहते हैं हम आपकी हिफाज़त के लिए आए है..आपको विशेष सुरक्षा के घेरे में रखा जाएगा…और फिर बिना किसी जिम्मेदारी के ही वो वीवीआईपी हो गई…उसकी बची-कुची आज़ादी भी अब सुरक्षा कर्मियों के हवाले थी..!
#आदिल सईद
परिचय : आदिल सईद पत्रकारिता में एक दशक से लगातार सक्रिय हैं और सामाजिक मुद्दों पर इन्दौर से प्रकाशित साँध्य दैनिक पत्र में अच्छी कलम चलाते हैं। एमए,एलएलबी सहित बीजे और एमजे तक शिक्षित आदिल सईद कला समीक्षक के तौर पर जाने जाते हैं। आप मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इन्दौर में रहते हैं।