शेर की तरह तुम झपटो..

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hemant
व्यथित है मेरी भारत मां,कैसे छंद प्यार के गाऊँ,
कैसे मैं श्रृंगार लिखूं,कैसे तुमको आज  हंसाऊंl

कलम  हुई आक्रोशित,शोणित आखर  ही लिख पाऊँ,
वीर शहीदों की शहादत को,शत-शत शीश झुकाऊँll

सिंदूर उजड़ गया माथे का,कंगना चूर-चूर टूटे,
शहीद की विधवा के,पायल बिंदिया काजल छूटेl

हृदय भी काँप गया,आँखों से खून उतर आया,
शहीद के बूढ़े पापा का,गम का दर्द उभर आयाl

बेटा लिपट तिरंगा आया,उस माँ पर क्या बीत रही है,
घर में छाया मातम ऐसा,गुड़िया उसकी चीख रही हैl

जान की कीमत वीरों की,क्या सिर्फ कड़ी निंदा है,
अब तो जागो गृहमन्त्री जी,भारत माँ शर्मिंदा हैl

क्या अंतर रह गया है अब, मौनी और मोदी में,
पच्चीस लाल सुकमा में,सौ गए मौत की गोदी मेंl

नक्सलियों को सबक सिखाना,क्या औकात के बाहर है,
क्या छप्पन इंची सिर्फ जुमला,या ये सरकार भी कायर हैl

डिजिटल-डिजिटल बाद में करना,पहले तुम इनसे निपटो,
लाल सलाम वाले कुत्तों पर,शेर की तरह तुम झपटोl

एक सड़क की खातिर,कितने चिराग बुझवाओगे,
कायरता की चूड़ी पहने,कब तक मौन रह पाओगेl

सुकमा आग बुझी भी ना,कुपवाड़ा से आई खबर,
तीन शहादत और हुई है,टूट गया है अब बाँध सबरl

सरकार बनी है मूक दरस,संवेदना ही दरसा रही है,
जान जा रही वीरों की,कुछ भी नहीं कर पा रही हैl

कब तक वीर मेरे देश के,प्राणों की आहुति देंगे,
कब तक चूड़ियां टूटेगी,कब तक सिंदूर उजड़ेंगेl

खून से लथपथ लाल हुआ,भारत माँ का आँचल,
नयन रो रहे धवल धार,कराह निकलती हृदय तलl

इतने बहुमत से जीत गए,अब तो कुछ कर दो मोदी जी,
इन दुष्ट भेड़ियों के तन में,पीतल ही पीतल भर दो जीl

करो खात्मा इन दुष्टों का,आर करो या पार करो,
बचे ना नक्सल आतंकी,ऐसा तीक्ष्ण प्रहार करोll

                                                                        #हेमंत कुमावत ‘हेमू’

परिचय : हेमंत कुमावत ‘हेमू’  वर्तमान में जयपुर मेट्रो रेलवे में स्टेशन नियंत्रक के पद पर कार्यरत हैंl आप कठूमर अलवर (राजस्थान) के निवासी हैं और शौक से लिखते हैंl 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।