कुछ ख़्वाब अधूरे,
पल रहे हैं पलकों में..
एक हल्की-सी छुअन तुम्हारी,
हाँ… जो तुम…
आंखों से छू जाते हो
भर देते हैं रंग कितने..
ज़िन्दगी के कैनवास पर।
जब भी बे-रंग-सी लगती है,
‘ये ज़िन्दगी’
उन रंगों से,जो तुमने मुझे दिए हैं
मैं फिर एक नया ख़्वाब
सजा लेती हूँ…
जी लेती हूं उन लम्हों को,
जो मेरी ज़िंदगी के सरमाया हैं..
जानती हूं…ता-उम्र
तुम्हारी मोहब्बत के रंग
यूँ हीं बिखरा करेंगे
मेरी बे-रंग ‘ज़िन्दगी’ में।।
#रश्मि अभय
परिचय : रश्मि अभय का पैतृक स्थान महाराजगंज(सीवान,बिहार) है।आपकी शिक्षा बीए,एलएलबी सहित बैचलर इन मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज़्म है। संप्रति स्वतंत्र पत्रकार और लेखन की है। एक राजनीतिक पत्रिका की ब्यूरो चीफ हैं। समृद्धशाली उच्च मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी ‘रश्मि’ को लिखने-पढ़ने का शौक बचपन से ही रहा,मगर इसे कार्यरूप में इन्होंने करीबन 10 साल पहले शुरू किया। प्रकाशित पुस्तकें-सूरज के छिपने तक,मेरी अनुभूति,उमाशंकर प्रसाद स्मृति ग्रंथ शब्द कलश'(साझा संग्रह,सहोदरी कथा सोपान (साझा संग्रह)एवं सौ कदम
(साझा संग्रह)आदि आपके लेखन के गवाह हैं। कुछ पुस्तकें भी आने वाली हैं। आप लेखन में ब्लॉग पर भी सक्रिय हैं और पटना(बिहार)में रहती हैं।