खेल खेलो ऐसा की
समझ न आये।
लूट जाये सब कुछ
कोई समझ न पाए।
कर्ताधर्ता कोई और है
पर बदनाम निर्दोष हो जाये।
और मार्ग चाल बाजों का
आगे के लिए खुल जाये।।
देश का परी दृश्य
अब बदल रहा है।
लोगो का ईमान अब
बहुत गिर रहा है।
इच्छा शक्ति लोगो की
छिड़ हो रही है।
और अच्छे लोगो की इस
संसार में कमी हो गई है।।
ऐसा तभी होता है जब
शेर गधा एक साथ सोता है।
और बुध्दि का कोई परिक्षण
संवादों से नही होता है।
जिस के परिणाम अब
देश में दिख रहा है।
और देश का नागरिक
ईमानदारी से लूट रहा है।
बस लूट रहा है….।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)