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मां की ममता
त्याग औऱ तपस्या
मां की मूरत
ईश्वर का है नूर
मां की ये लोरी
सुरों की सरगम
मां का आंचल
चंदा जैसी शीतल
गंगा सा है निर्मल।
पिता का साया
बरगद की छाया
पिता का त्याग
सन्तान का भविष्य
पिता का दर्द
जान सका न कोई
पिता का प्यार
असीमित आकाश
व्यापक है विस्तार
#अविनाश तिवारीजांजगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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