क्या इंसानियत सच में मर गयी है?

0 0
Read Time1 Minute, 41 Second

cropped-cropped-finaltry002-1.png
हृद मेरा भी कंपित होता है।
हर आहट पर आशंकित होता है।
कातर चछु को मै पढता हूँ,
जो भूख तपन से नित रोता है।
स्त्री के फटे वस्त्र तले जब,
यह पागल जन चछु तन छूता है।
उद्गारित हो उठता है हृद तब,
सच धीरज आपा खोता है।
बारिस की वहाँ खुमारी क्या,
जहाँ स्वप्न बूँद रूप में चूता है।
भाई-भाई का मल्ल युद्ध,
मानव खुद मानव से छुपता है।
“फुटपाथो” पर पले जिन्दगी,
“नालो” से ही खाता पीता है।
इंसानियत का दिल दहल जाये,
जब कुहरे की चादर ले सोता है।
दूर देश का सौदा करने पर,
“खाकी-खद्दर” का न्यौता है।
गरीबी के कल-कारखाने में तब,
“हवा” बस खाने पीने में होता है।
“तन को बचाने में बदन बिका”,
“रोटी”के खातिर ही सोता है।
“सच की जुबान” आखिर यहां,
“पटाखो” में ही दब जाता है।
“खाकी” जब छींन लेती कटोरा,
तब “भिखारी” कितना रोता है।
अखबार की सुर्खी पर आहत आँखे,
कि रोज कितनो का “रेप” होता है।
“एक बूढे ने मासूम की इज्जत लूटी”,
बाइज्जत बरी क्यूँकि वह “नेता” है।
जब काट दी जाती है सच की जुबान,
मन अहक-अहक कर रोता है।
पता नही “मिलिंद” क्या लिख रहा,
बस “एहसास सत्य का” होता है।
#मिथलेश सिंह “मिलिंद” 

आजमगढ़(उत्तरप्रदेश)

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

करवाचौथ

Fri Oct 26 , 2018
आओ मीत मेरे बैठ सपने नए सजाते हैं  तुम अपनी बताना मैं अपनी सुनाऊं मिलकर कहानी नयी  बनाते हैं दोनों एक आज करवाचौथ मनाते हैं हर मुलाक़ात की यादों से बारात एक सजाते हैं शादी के हर बचन को फिर  से दोहराते हैं तुम ही निर्जला क्यों रहो मुझे पाने के लिए […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।