साजन मेरे नहीं आए,
मेरा सावन सूखा जाए।
मै क्या करू राम अब,
जब पिया घर नहीं आए।।
उमड़ घुमड़ कर बदरा आए,
प्यासी धरती की प्यास बुझाए
मेरी प्यास अब कौन बुझाए ?
जब पिया मेरे घर नहीं आए।।
झूले पड़ गए है बागन में,
कोयल कूके मेरे कानन में।
मुझे अब कौन झुलाए ?
जब पिया घर नहीं आए।।
मनरा गली में आयो है,
चूड़ी सबको पहनायो है।
मै चूड़ी कैसे पहनूं रे ?
जब पिया घर न आयो है।।
सज धज के सखियां आई हैं,
मुझे बुलाने वे सब आईं हैं।
मै जाऊं उनके कैसे साथ ?
जब पिया घर नहीं आयो है।।
रात अंधेरी आईं हैं,
निंदिया मुझे न आई हैं
मै सोऊ किसके साथ ?
जब पिया घर न आए है।।
सावन में पिया से दूरी,
ये कैसी मेरी मजबूरी।
इसको समझ वहीं पायो है,
जिसके पिया घर न आयो है।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम