नशा मुक्त नही , संस्कार युक्त भारत चाहिए….

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जगत गुरु कहे जाने वाले देश भारत के युवाओं के चहुँमुखी विकास में सबसे बड़ी बाधा है नशा ।

नशा शब्द सोचते ही दो प्रश्न उठते है –
क्यो ?
ओर कौन जिम्मेदार है?

कुछ लोग इसके लिए व्यक्ति संगती को जिम्मेदार ठहराते है अपितु असल समस्या कुछ और है।
क्यो आज कलम पकड़ने वालें नन्हे हाथों में बीड़ी या सिगरेट है ?
क्यो आज युवाओ के हाथ मे बोतले है ?
क्यो आज देश बेटी ड्रग्स से पीड़ित है?
क्यो आज देश का जन सामान्य मुह ओर फेफड़ो के कैंसर से मर रहा है ?

इसका मुख्य कारण है माता पिता और परिजनों की लापरवाही, ओर उस से बड़ा कारण है आज के युवाओं में सुसंस्कारों का अभाव और कुसंस्कारो का प्रभाव ।

आज यदि देश मे इस नशे रूपी वायरस को रोकने के लिए युवाओ को संस्कार रूपी घुट्टी पिलानी होगी और यह घुट्टी इन्हें हम सब मिलकर पिलाएंगे,

हम अपने बच्चो को उच्च शिक्षा तो देते है किंतु उन्हें संस्कार देना भूल जाये है और यही उनके पतन का मुख्य कारण बनता है।
इस हेतु हमे चाहिए कि भले ही हम अपने बच्चों को को उच्च शिक्षा न दे पाए लेकिन संस्कार दे ने से न चुके।

तब ही देश का विकास सम्भव है और देश को विकास करने के लिए नशा मुक्त होने की आवश्यकता नही है आवश्यकता है संस्कार युक्त होने की ।

ओर यह तब ही सम्भव है जब हम सब मिलकर युवाओ में संस्कारो का संचार करे।

दीपेश पालीवाल
उदयपुर राजस्थान

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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