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सोलह श्रंगार करुं,ध्यान बृज का जो धरुं,
राधा-कृष्ण रोज मेरी नजरों में आवै हैं॥
गोकुल की गली-गली,में है शोर उसका तो,
भक्तों की जुबानों पर,सुबह आ जावै हैं॥
लोग राधा नाम गावै,पाछै श्याम कू मनावै,
बाँसुरी की धुन पर भक्तों को नचावै है॥
राधा नाम संग गाओ,तुम भव तर जाओ,
गोपियों का मन कूँ वा दिन-रात भावै है॥
#कृष्ण कुमार सैनी ‘राज’
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