न हम बदले न वो बदले,
फिर क्यों बदल रहे इंसान।
कल तक जो अपने थे,
सब की आंखों में बसते थे।
पर अब तो वो सिर्फ,
सपनो जैसे देखते है।
न हम न वो आये जाएं,
अब एक दूसरे के पास।।
न हम बदले न वो बदले,
फिर क्यों बदल रहे इंसान।
एक घटना ने कैसे
हिला के रख पूरा हिंदुस्तान।
बाज फिर भी नही आ रहे,
देश के सत्ताधारी इंसान।
और मुर्गों जैसे लड़ रहे,
राष्ट्रीये विपत्ति में भी आज।
न आज शर्म बची है,
लड़ने और लड़ाने वाली में।।
न हम बदले न वो बदले,
फिर क्यों बदल रहे इंसान।
देश की जनता अब,
निश्चित जाग गई है।
अपनी करनी पर अब,
बहुत ही आंसू बहा रही है।
की क्यों इन बेशर्मो को,
हम सब सुनते और देखते है।
अब ज्ञान हो गया है सबको,
की कोई नही है किसी का।।
न हम बदले न वो बदले,
फिर क्यों बदल रहे इंसान।
अच्छे अच्छे ज्ञानी ध्यानी भी,
अब भाग रहे है अपने आप से।
कोई कुछ नही है कहता
बस सब कहते दूर रहो।
भाई खुद जीओ और,
दूसरों को भी जीने दो।
और आप भी एक दूसरे से,
दूर रहो बस दूर रहो..।।
न हम बदले न वो बदले,
फिर क्यों बदल रहे इंसान।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)