उलझी बातों से जीवन सुलझाती…
या
सुलझी बातों में जीवन उलझाती…
मैं सारी या आधी,
मैं मझधार या किनारा..
मैं धार की पतवार,
मैं मोह या माया..।
मैं विरक्ति या आसक्ति,
मैं वृष्टि या छाया..
मैं सत्य या भ्रम,
मैं दिगभ्रमित मदमस्त हवा..।
या सुरभित मधुमासी बयार,
मै श्रद्धा या दुत्कार..
हे मनु मैं तुम्हारी जीत,
या तुम्हारी हार..।
मैं नारी…..
सृष्टि का वरदान,
या विध्वंस गान…।
मैं कौन,,,,?????
(क्षणिक नारी मनोभाव पर आधारित रचना )
#लिली मित्रा
परिचय : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर करने वाली श्रीमती लिली मित्रा हिन्दी भाषा के प्रति स्वाभाविक आकर्षण रखती हैं। इसी वजह से इन्हें ब्लॉगिंग करने की प्रेरणा मिली है। इनके अनुसार भावनाओं की अभिव्यक्ति साहित्य एवं नृत्य के माध्यम से करने का यह आरंभिक सिलसिला है। इनकी रुचि नृत्य,लेखन बेकिंग और साहित्य पाठन विधा में भी है। कुछ माह पहले ही लेखन शुरू करने वाली श्रीमती मित्रा गृहिणि होकर बस शौक से लिखती हैं ,न कि पेशेवर लेखक हैं।
बेहतरीन