पाँव रख संभालकर
महामारी का समय है
फन फैलाये
फुफकार रहे हैं काले नाग
ड़स रहें आदमी, आदमी को …
वर्तमान सरकारें हो चुकी हैं
पूर्णरूप से नाकाम
खड़े करके दोनों हाथ
छोड़ दिये गरीब-मजदूर मरने-कटने स्वयं के भाग्य पर
सारा देश चल रहा है
रामभरोसे !
सरकार चलाने वाले जब भी मुँह खोलते हैं
सिर्फ ढेंचू-ढेंचू की आवाज निकालते हैं
पता नहीं ये कोरोना वायरस
प्रकृति का कहर है या
कोई सरकारी साजिश
मौत का अट्ठाहास
तिल-तिल मार रहा गरीबों को
कोरोना वायरस तो मजदूरों से ड़र गया
पर भूखरुपी वायरस से मजदूर हार गया
ये जिंदगी और मौत का समय है
महामारी का समय है |
#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl