ज़िन्दगी गुनगुनाने लगी

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नाम खुद की हँथेली पर उनका लिखा,तब से बेचैन वो नींद जाने लगी।
उनसे पूँछा नहीं पर पता चल गया,ज़िन्दगी नेह में गुनगुनाने लगी।
*
ज़ादुई रंग शायद है दिल में चढ़ा,
अड़ गये हाथ उनका वो कल थामने।
बात ऐसी हुई खाइयाँ थी बहुत, साथ मे ऐसा कुछ था कुँआ सामने।
हाल ज़ोखिम भरा राह में ख़ार थे,
ज़िन्दगी रात दिन ही सताने लगी।
उनसे पूँछा नहीं पर पता चल गया,ज़िन्दगी नेह में गुनगुनाने लगी।-01
*
वो सँवरते हुए भी बिखरती रही,
आइना भी दिखाया मुलाक़ात में।
मन में आया तभी बेवफा ज़िन्दगी,फिक्र बिन हम जियें चाँदनी रात में।
जो सहेली थी अब तक पहेली बनी,प्रश्न था सामने आजमाने लगी।
उसने पूँछा नहीं पर पता चल गया,ज़िन्दगी नेंह में गुनगुनाने लगी।-02
*
धूप चढ़ते हुए धूप ढलती रही,धूप मद्धिम कभी तेज चढ़ने लगी।
एक पल को हंसीं एक पल ग़म मिला,दर्द की दास्तां रोज़ गढ़ने लगी।
रूठने जब लगे हम हुए अनमने,
वो हमें भाँपकर फिर मनाने लगी।
उसने पूँछा नहीं पर पता चल गया,ज़िन्दगी नेंह में गुनगुनाने लगी।-03
*
जब पता चल गया आजमाती है ये,हो के बैख़ौफ़ हम रोज़ जीने लगे।
उसकी आँखों में भी था नशा जोर का,हो के आगोश में रोज़ पीने लगे।
हद कहाँँ तक मेरी करने मालूम ये,
वो घड़़ी दर घड़ी आजमाने लगी।
उसने पूँछा नहीं पर पता चल गया,ज़िन्दग़ी नेंह में गुनगुनाने लगी।

#प्रदीपमणि तिवारी ‘ध्रुवभोपाली’परिचय: भोपाल निवासी प्रदीपमणि तिवारी लेखन क्षेत्र में ‘ध्रुवभोपाली’ के नाम से पहचाने जाते हैं। वैसे आप मूल निवासी-चुरहट(जिला सीधी,म.प्र.) के हैं,पर वर्तमान में कोलार सिंचाई कालोनी,लिंक रोड क्र.3 पर बसे हुए हैं।आपकी शिक्षा कला स्नातक है तथा आजीविका के तौर पर मध्यप्रदेश राज्य मंत्रालय(सचिवालय) में कार्यरत हैं। गद्य व पद्य में समान अधिकार से लेखन दक्षता है तो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होते हैं। साथ ही आकाशवाणी/दूरदर्शन के अनुबंधित कलाकार हैं,तथा रचनाओं का नियमित प्रसारण होता है। अब तक चार पुस्तकें जयपुर से प्रकाशित(आदिवासी सभ्यता पर एक,बाल साहित्य/(अध्ययन व परीक्षा पर तीन) हो गई है।  यात्रा एवं सम्मान देखें तो,अनेक साहित्यिक यात्रा देश भर में की हैं।विभिन्न अंतरराज्यीय संस्थाओं ने आपको सम्मानित किया है। इसके अतिरिक्त इंडो नेपाल साहित्यकार सम्मेलन खटीमा में भागीदारी,दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में भी भागीदारी की है। आप मध्यप्रदेश में कई साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।साहित्य-कला के लिए अनेक संस्थाओं द्वारा अभिनंदन किया गया है।

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