हम मजदूर हैं मेहनत करना हमारा काम,
आस इतनी ही श्रम का मिल जाये वाजिब दाम।
हाथों के छालों से नये निर्माण हो पाते,
रोज लाते बमुश्किल आटा-दाल वही खाते।
जन्मी सन्ततियां धूल में बड़ी होती रहती,
कुछ साल में मजबूरी मजदूर बनने को कहती।
सुबह कांदा रोटी खाकर शाम का जुगाड़ है,
हो जाये बीमार तो जीवन लगे पहाड़ है।
कितने ही मजदूर दिवस मना लो अर्थपूर्ण नहीं,
जब तक कि उनकी आवश्यकताएँ पिटती रहीं।
काम जिनकी पहचान है क्यों वह उपेक्षित रहे,
रोज रोटी और हर सुविधा भी अपेक्षित रहे।
#डॉ. अनिता जैन “‘विपुला’
परिचय :1. नाम: डॉ. अनिता जैन 2. धारक नाम / उपनाम (लेखन हेतु): “विपुला”3. जन्मदिन एवं जन्म 11 जुलाई स्थान: बीकानेर राजस्थान 4. शैक्षणिक योग्यता (ऐच्छिक): Ph. D. , M. Phil. NET.M.A. (संस्कृत – साहित्य , दर्शन )M.A. ( हिंदी साहित्य )MBA in HR5. व्यवसाय: अतिथि प्राध्यापक ( विश्वविद्यालय में ) 6. प्रमुख लेखन विधा: छंद मुक्त, मुक्तक, हायकू ,वर्णपिरामिड, क्षणिका, लघुकथा,निबन्ध, आलेख आदि। 7. साहित्यिक उपलब्धियाँ/पुरस्कार/सम्मान: विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में कविताएँ एवं लेख प्रकाशित होते रहते हैं। आकाशवाणी में एंकरिंग एवं कविता पाठ आदि । ngo से जुड़ी हुई हूँ। समय समय पर सामाजिक उत्थान के कार्यों में सहभागिता।हिंदी के साथ साथ राजस्थानी भाषा में भी लेखन। “वर्णपिरामिड श्री”, “सर्वश्रेष्ठ मुक्तककार”, सम्मान आदि ।8. रुचि/शौक़: संगीत, अध्ययन,लेखन,प्राकृतिक स्थलों का भ्रमण,कुकिंग आदि ।9. उदयपुर राजस्थान ।10. उपलब्धियों में- 12 वीं बोर्ड की योग्यता सूची में 7वाँ स्थान। मेडल एवं मैरिट छत्रवृति प्राप्त, बी. ए. में राष्ट्रीय छत्रवृत्ति प्राप्त।NSS में प्री आर डी एवं राष्ट्रीय एकात्मकता शिविर में राजस्थान का प्रतिनिधित्व।वाद विवाद , आशु भाषण, निबन्ध एवं कविता आदि में छात्र जीवन में अनेक पुरस्कार प्राप्त। *महाविद्यालय शिक्षिका के रूप में केरियर की शुरुआत। अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में पत्र वाचन, शोध पत्र प्रकाशन। *दो पुस्तकें शीघ्र प्रकाशित होने वाली हैं।