मुझे राह दिख,
लाने वाले मेरे मन।
कभी राह खुद तुम,
यूही न भटकना।
मुझे राह….……।
मोहब्बत में जीते,
मोहब्बत से रहते ।
मोहब्बत हम सब,
जन से है करते।
स्नेह प्यार की दुनियां,
हम हैं बसाते।
मुझे राह……..।।
न भेद हम करते,
जाती और धर्म में।
न भेद करते,
ऊंच और नीच में।
में रखता हूँ समान भाव,
अपने दिल में।
मुझे राह……….।।
हमे अपनी संस्कृति,
को है बचना ।
दिलो में लोगो के,
प्यार है जगाना।
अपनी एकता और
अखंता बचाना।
मुझे राह ………।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।