हाँ मोहब्बत है मुझे,
अपनी तन्हाईयों से।
जो तुम्हारे करीब,
ले आती है।
और प्यार के सागर में,
डूबा देती है।
जहाँ हम अपने को,
जन्नत में पाते है।।
हाँ मोहब्बत है मुझे,
उन ख्वाबो से।
जो रोज नींद में,
तुम दिखाते हो।
और अपने पास,
हमें बुलाते हो।
और स्नहे प्यार से,
तन्हाइयों में साथ निभाते हो।।
हाँ मुझे मोहब्बत है,
उन गुजरी हुई रातो से।
जो बीता चुकी है,
तुम्हारी याद में।
फिरभी सवाल बहुत है,
मेरे मन में।
जिन का जवाब भी,
सिर्फ तन्हाईयाँ है।।
हाँ मुझे मोहब्बत है,
अपने दिल से।
जो धड़कता है,
सिर्फ तुम्हारे लिए।
हर सांसो में मेरी,
सिर्फ तुम ही बसे हो।
इतना सब होते हुये भी,
क्यों तन्हा छोड़ देते हो।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।