मत कर तन का घमंड
ये तन तो नश्वर है
हंसखेल कर पूरी करले जीवन यात्रा
इस तन को एक दिन मिट्टी में मिल जाना है |
मत भटक दर-दर
मिलना और बिछुड़ना
सृष्टि का यही नियम है |
आत्मा सुखमय तो सारा जग सुखमय
सुख-दु:ख दिन रात का खेल
सुख बाहर नहीं,
छिपा बैठा है स्वयं के ही भीतर |
इच्छाओं को कर सीमित
तेरा रोम-रोम खिल जायेगा
जीवन पथ जगमग रोशन हो जायेगा |
मत मन को दूषित होने देना
बड़े भाग्य से मिला ये मानव तन
कर उपकार, सेवा इससे करना
मृत्यु निश्चित, मृत्यु से मत ड़रना |
#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl