क्यों करें हम मंजिलों की तमन्ना,
मंजिलें तो खुद-ब-खुद मिल जाएगी।
सीख लें गर हुनर रास्तों पर चलने का,
ये खुद हमें मंजिलों तक पहुँचाएगी।।
गर न मानी हार तुमने हरगिज भी दोस्तों,
तो ये मंजिलें खुद आपका हौंसला बढ़ाएंगी।
तुम बस एक बार बिना रुके चल कर तो देखो
मंजिलें तो क्या,बुंलदियाँ भी सामने शीश झुकाएंगी।।
जी लिया गर तुमने कुछ दिन शिद्दत से अंधेरे में दोस्तों,
तो फिर यकीनन ये रोशनियाँ भी तुम्हारी खुशी में गुनगुनाएँगी।
बस लगे रहो हर पल अपने लक्ष्य के लिए,
मंजिलें खुद-ब-खुद मिल जाएगी।।
#एड. नवीन बिलैया