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मध्यप्रदेश में आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी के चार्तुमास के मंगल कलश की स्थापना के उपलक्ष्य में संजय जैन मुंबई द्वारा गुरु भक्ति और शिष्य की पुकार का ये भजन आप सभी लोगो के प्रति समर्पित है / जिसमे भक्त और शिष्य अपने गुरु से प्रार्थना कर रहा है, की आप ही मेरे सब कुछ हो हे गुरुवर /
सतगुरु मेरे तेरे पतंग, हवा बिच उड़ाती जाउंगी /
तुमने न पकड़ी डोर , तो में गिर जाउंगी /
सतगुरु मेरे तेरे पतंग, हवा बिच उड़ाती जाउंगी/
तुमने न पकड़ी डोर , तो में गिर जाउंगी //
बड़ी नाजुक है डोरी, गुरु रखना थाम के /
हम तो दीवाने है प्रभु बस तेरे नाम के /
मेरे सिर पर रख दो हाथ / भव पार हो जाउंगी /
तुमने न पकड़ी डोर , तो में गिर जाउंगी/1 /
सतगुरु मेरे तेरे पतंग। ……./
ये मोह माया की अंधी कही मुझको न ले जाये /
तेरी दया मिले तो , मेरा जीवन सवार जाए /
मैं छोड़के झूठे जग ,तेरे हो जाउंगी /
तुमने न पकड़ी डोर , तो में गिर जाउंगी /२/
सतगुरु मेरे तेरे पतंग। ……./
ये राह बड़ी कठिन है ,और ऊँचा है आकाश /
बस है यही तमन्ना ,आ जाऊ तेरे पास /
तेरी कृपा से गुरुवर प्रभु से मिला जाउंगी /
तुमने न पकड़ी डोर , तो में गिर जाउंगी/3 /
सतगुरु मेरे तेरे पतंग , हवा बिच उड़ाती जाउंगी//
उपरोक्त भजन में गुरुवर के चरणों में समर्पित करता हूँ /
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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