प्रिय सखी तुम ना घबराओ;
संघर्षों, तूफ़ानों से।
साक्षर, कर्मठ, स्वाभिमानी तुम;
सामना करो तूफानों से।।
दुख भी आते, सुख भी आते;
जीवन इसी का नाम है।
ना घबरा इन दुखों से;
जीवन में आते, उतार-चढ़ाव हैं।।
सोना भी तो आग में तपकर;
अपनी कीमत बढ़ाता है।
संघर्षों से लड़कर तुम्हें भी;
जीवन सफल बनाना है। प्रिय सखी…
संघर्षों से जो ना डरते;
इतिहास वही बनाते हैं।
व्यर्थ गंवा दे जो जीवन अपना;
वो हाथ मसलते रहते हैं।।
लोहा भी तो आग में तपकर;
अपनी पहचान बनाता है।
तूफानों से लड़कर तुम्हें भी,
जीवन उत्कृष्ट बनाना है।। प्रिय सखी….
परिचय
नाम- मंजू बिष्ट
पिता का नाम- बच्ची सिंह बोहरा
पति का नाम- ललित मोहन बिष्ट
गाजियाबाद, (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा- एम.ए.
व्यवसाय- गृहणी