यह रोग नहीं महामारी है |
सब पर कर रहा सवारी है ||
इस पर कोई न सवार हुआ |
यह प्रश्न बना हुआ भारी है ||
ये कैसा बुरा समय आया है |
यह सारे संसार पर छाया है ||
सबने सारी शक्ति लगा दी है |
फिर भी काबू न कर पाया है ||
वह अदना सा है एक तरफ |
सारा विश्व भी है एक तरफ ||
फिर भी उसे हरा न पाया है |
हाहाकार है अब चारो तरफ ||
एटम बम भी काम न कर पाये है |
तोप तलवार भी काम न आये है ||
अब मानव है कितना मजबूर हुआ |
सब मिलकर भी कुछ कर न पाये है ||
जो शक्तिशाली अपने को बनता है |
उससे से भी यह रोग न थमता है ||
वह भी ऐसा हुआ है आज लाचार |
बनने से अब कुछ नहीं बनता है ||
कोरोना पड़ा सब पर भारी है |
कर रहा सब पर मारामारी है ||
विजय न कर सका उस पर कोई |
जो समझते थे अपने को भारी है ||
प्रक्रति का कर रहे थे हम शोषण |
जल और वायु कर रहे थे शोषण ||
उसने हमसे बदला ले लिया है |
मानव का कर रही है वह शोषण ||
भारत ही अब विश्व गुरु होगा |
इसकी दवा वह सबको देगा ||
जब भारत इस पर विजय कर लेगा |
तब भारत का लोहा मानना होगा ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम