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एक माता-पिता उसे कहते हैं,
जो झूठ बोलकर नादानी में
गलत फैसले ले चुकी है
उसे माँ-बाप कुछ कह तो नहीं सकते,
लेकिन उनकी नज़रें यही कहती
हुई-सी प्रतीत होती हैं-
तुझे जन्म दिया तुझको पाला,
तुझको सब अपना दे डाला
आखिर ऐसा क्यूँ काम किया
तूने हमको बदनाम किया
तू रोज यूँ कॉलेज जाती है
तू हंसती है,मुस्काती है
तू मन-ही-मन में आखिर क्यों,
हमसे कुछ भी छिपाती हैl
आखिर तुझको क्या हो गया,
मेरा स्नेह अपार कहाँ खो गया
क्या ऐसा भी कोई होता है
आखिर क्यों ये जग सोता है
माँ के प्यार से कैसे बड़ा
किसी का प्यार भी होता है
तुझे इसीलिए नहीं पाला है
तुझको न मन से निकाला है
गई पढ़ाई करने कालेज तू,
फिर क्यों ये झमेला पाला हैl
तू फिर आखिर पढ़ाई भूल,
क्यों ऐसे खोने लगती है
उम्र से पहले ही शादी के,
क्यों सपने संजोने लगती है
हम प्रेम विरोधी नहीं बेटा,
हम तेरे रोधी नहीं बेटा
फिर क्यों तेरे इस झूठ से,
सुन आखिर अपना माथा ऐठा
अरे प्रेम-दोस्ती की छूटें
जो तुझको अच्छी लगती है
वो केवल कल्पना की दुनिया बेटा
कल्पना में सच्ची लगती है
ना कोई ताजमहल होता,
न कोई चाँद यूँ लाता है
सब तेरे खुलेपन का है असर
बस वही उन्हें बहकाता है
कुछ बहुत नगीने होते हैं
बस कुछ ही महीने होते हैं
लूटकर एमएमएस बना,
वे उड़ रफूचक्कर होते हैंl
तुझे आखिर क्यों समझ नहीं
अच्छे-बुरे की पहचान नहीं
ये फ़िल्मी जगत बस फ़िल्मी है
सच्चाई का यहाँ काम नहीं
नहीं कोई शाहरुख,न सलमान
न कोई प्रेमी चक्कर होता है
जिसको है यहाँ पैसे मिलते,
बस वो ही गब्बर होता हैl
तुझे पता भी क्या दुनिया का,
कोई अफ़ज़ल सच्चा नहीं होता
जो अपने धर्म का नहीं हुआ
वो तेरा कौन,कहाँ होता है
जिनके यहाँ रिश्तों में पागल
शादी संबंध बन जाते हैं
ऐसे लोग किसी के कैसे
धर्म भाई बन पाते हैं
तुम कल तक जिसको भैया बोल
पगली घर पे ले आती थी
तुम्हारे पापा की आँखें
फिर भी सहती जाती थी
तुम्हारे फेसबुक पे उसके
कमेंट भी सब पढ़ते थे
तुमसे कुछ भी न कहते थे
क्योंकि सब तुम्हें समझते थेl
प्यार का धर्म नहीं होता,
लेकिन वो बेशर्म नहीं होता
हम भी तुम्हीं को चाहते हैं
माँ-बाप से बढ़के नहीं होता
लाड़ो हमको भी तेरे सुख-दुख
जीवन की चिंता है
पढाई के बाद तेरी शादी का
होना भी पक्का है
फिर मस्ती और इस फैशन में
आखिर तू क्यों खो जाती है
आखिर क्यों माँ-बाप की आँखें
नज़र तुझे नहीं आती है
इस वासना की दुनिया में
सच्चा प्यार कहीं नहीं होता है
जो सच्चा प्यार करे पगली
माँ-बाप का आँचल होता है
#विनय शर्मा `भारत`
परिचय : विनय शर्मा सहित्यिक रूप से विनय ‘भारत’ के नाम से लेखन करते हैंl आपकी आयु करीब २५ वर्ष है और गंगापुर सिटी(ज़िला-सवाई माधोपुर,राजस्थान)में रहते हैंl शिक्षा आचार्य और शिक्षा शास्त्री(एमए व बीएड) हैl वरिष्ठ अध्यापक(संस्कृत व्याकरण व साहित्य) के रूप में आप कार्यरत हैंl आपको रविन्द्र मंच से नाटक सम्मान तथा राजस्थान बोर्ड से निबंध सम्मान मिला हैl एक साहित्यिक पत्रिका में आप सम्पादक हैं तथा पहले पत्रकारिता भी कर चुके हैंl अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित होते हैं और मंच पर भक्ति रस और श्रृंगार रस में काव्य पाठ भी करते हैंl उपन्यास एवं व्यंग्य में भी आपकी लेखनी सक्रिय हैl
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