#देवयानी नायक,झाबुआ(मध्यप्रदेश)
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तुम सूखे ठूंठ से रहते
फिर भी देते फूल महकते
टेसू कनक कमलासन पर्णी
जाने कई तुम नामों से
जाने जाते केशरिया रंग लिये
कान्हा के दरबार में जाते
बन जाते जब रंग ये पक्के
नहीं छोड़ते ग्वाल बाल गोपियों से
रास लीला कर नचवा लेते
भिगो कर रख देते भक्ति में
रंगों की बौछारों से
धन्य वो फूल पलाश के
कान्हा संग राधिका जिससे
मतवाली होली खेलें ।
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