तू भी नश्वर , मैं भी नश्वर,
नश्वर है ये दुनियां सारी।
घमंड करे तू किस पर प्यारे,
ये सांसे भी है प्रभु की उधारी।
आए हैं हम प्रभु की कृपा से,
प्रभु के पास ही जाना है।
किसी को आगे ,किसी को पीछे,
बस आना और जाना है।
कुछ भी नहीं है अमर जहां में,
सब मिट्टी में मिल जाना है।
अमीर गरीब का भेद नहीं कुछ,
सबको ही राख हो जाना है।
मत इतरा तू जवानी पे अपनी,
बुढ़ापा तो सबको ही आना है।
धन दौलत कुछ काम ना आए,
क्या चांदी क्या सोना है।
जो आया है जाएगा वो,
फिर किस बात का रोना है।
खाली हाथ ही आए थे तो,
साथ में क्या ले जाना है।
कर ले अच्छे कर्म तू यारा,
यदि नाम अमर कर जाना है।
चोरी ,लालच से कर ले किनारा,
यदि तुझको मुस्काना है।
प्रभु का हाथ है सिर पर तेरे,
फिर किससे डर जाना है।
सुख दुःख हैं सिक्के के पहलू,
फिर क्यों कष्टों से घबराना है।
ये दौलत शौहरत काम ना आए,
सब कुछ यहीं रह जाना है।
हाथी घोड़े कुछ ना मिलेंगे,
सबको पैदल ही जाना है।
रचना –
सपना
जनपद औरैया