मेरे माता-पिता ने मुझे बस एक बात सिखाई है,
किसी का भला करो तो अपनी भी होती भलाई है।
में कभी फालतू की बातें नही करता यारों से,
यही बात मैंने अपने सभी यारों को भी सुनाई है।।
अक्सर बिगड़ जाते हैं बच्चे जवानी के मोड़ में,
मैंने कई बिगड़ों को ऊँगली पकड़कर सही राह दिखाई है।
गलतफहमियां अक्सर बिगाड़ देती है कई जिंदगियां,
मैंने उनकी ग़लतफ़हमी दूर कर कई जिंदगियां मिलाई है।।
मर्दो को खूबसूरत लड़कियों में महबूबा नज़र आती है,
मैंने बनाकर बहन उनको राखी से भरी अपनी कलाई है।
लाख खंजर मारे हैं लोगों ने अक्सर मेरे गले लगकर,
मैंने हर जख्म पर उन्हीं से प्यार की मरहम लगवाई है।।
जो जरुरत पड़ी अपनों को कभी अंधेरों में रोशनी की,
तो मैंने घर अपना जलाकर उन्हें रोशनी दिखाई है।
मैं खुलकर सामने कहता हूँ किसी की भी कमजोरियों को,
पीठ पीछे कमजोरियाँ कहना तो सबसे बड़ी बुराई है।।
खुश रखने की कोशिश करता हूँ मैं सदा दूसरों को,
अपनी ही कई खुशियां मैंने दिल में दबाई है।
#सुरेन्द्र ठाकुर ‘अज्ञानी जी’