राम राज्य का किसान

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ankit chaturvedi

मैं किसान के गीत लिखूंगा अपने मन की पीड़ा से,
जिनके शब्द शारदे देती अपनी पावन वीणा सेl
पवित्र पावन शब्दों का अपमान नहीं कर सकता मैं,
छोड़ किसानों को,सत्ता का गान नहीं कर सकता मैंll 

मेरी कलम नहीं झुक सकती राजाओं के वंदन में,                                                                                                        मेरी कलम इतिहास गढ़ेगी झोपड़ियों के क्रंदन मेंl                                                                                                      कैसे उनके गीत लिखूं जो सत्ता मद में चूर हुए,                                                                                                          गरीब किसान बेचारे आत्महत्या को मजबूर हुएll

कुर्सी का सपना लिए जाने कैसे सो जाते होंगे,
मरे किसानों के भूत इनको नहीं डरा पाते होंगे।
मैं सरकार का पक्षधर हूँ,विरोध नहीं कर सकता मैं,
लेकिन चुपचाप कवि होकर सहन नहीं कर सकता मैंll

जब किसी भक्त को अपने देवों पर गुस्सा आता है,
गुस्सा तो नहीं कर सकता,पर रो-रोकर रह जाता है।
मेरी कलम कह रही है कैसे तुमने सरकार लिखी,
जिनको सर्वश्रेष्ठ बताया,क्यों न उनको धिक्कार लिखीll

विना स्याही के मेरी कलम भूखी तो मर सकती है,
पर दरबारों का वंदन कर पेट नहीं भर सकती है।
हमने फिर से राम राज्य आने के सपने देखे थे,
राजतिलक में भर-भरकर फूलों के बंडल फेंके थेll

सुबह होते ही रामराज्य वाला सपना चला गया,
फिर किसानों का राम,सत्ता के रावण से छला गयाll 

                                                                                 #अंकित चक्रवर्ती

परिचय:अंकित चक्रवर्ती का साहित्यिक उपनाम-हिन्दी कवि हैl आपकी जन्मतिथि-१० अगस्त १९९८ और जन्म स्थान-ग्राम कटैया हैl वर्तमान में बरेली स्थित सदभावना कॉलोनी में निवासरत हैंl उत्तरप्रदेश के शहर बीसलपुर से रिश्ता रखने वाले अंकित चक्रवर्ती की शिक्षा-विद्युत अभियांत्रिकी हैl कार्यक्षेत्र-अभियांत्रिकी है,तथा सामाजिक क्षेत्र में समाजसेवा करते हैंl लेखन में आपकी विधा-मुख्यतः वीर रस-घनाक्षरी,लावणी,मुक्तक है,जबकि श्रृंगार रस(घनाक्षरी, मुक्तक,गीतिका,कवित्त) में भी रचते हैंl सम्मान में आपको काव्य रत्न छत्तीसगढ़ प्राप्त हुआ हैl ब्लॉग सहित सभी सोशल ल मीडिया पर भी सक्रियता से लिखते रहते हैंl आपके लेखन का उद्देश्य-`जब तक देश से विसंगतियां नहीं मिट जाती,तब तक आक्रोश ही पढूंगा` हैl 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।