मैं किसान के गीत लिखूंगा अपने मन की पीड़ा से,
जिनके शब्द शारदे देती अपनी पावन वीणा सेl
पवित्र पावन शब्दों का अपमान नहीं कर सकता मैं,
छोड़ किसानों को,सत्ता का गान नहीं कर सकता मैंll
मेरी कलम नहीं झुक सकती राजाओं के वंदन में, मेरी कलम इतिहास गढ़ेगी झोपड़ियों के क्रंदन मेंl कैसे उनके गीत लिखूं जो सत्ता मद में चूर हुए, गरीब किसान बेचारे आत्महत्या को मजबूर हुएll
कुर्सी का सपना लिए जाने कैसे सो जाते होंगे,
मरे किसानों के भूत इनको नहीं डरा पाते होंगे।
मैं सरकार का पक्षधर हूँ,विरोध नहीं कर सकता मैं,
लेकिन चुपचाप कवि होकर सहन नहीं कर सकता मैंll
जब किसी भक्त को अपने देवों पर गुस्सा आता है,
गुस्सा तो नहीं कर सकता,पर रो-रोकर रह जाता है।
मेरी कलम कह रही है कैसे तुमने सरकार लिखी,
जिनको सर्वश्रेष्ठ बताया,क्यों न उनको धिक्कार लिखीll
विना स्याही के मेरी कलम भूखी तो मर सकती है,
पर दरबारों का वंदन कर पेट नहीं भर सकती है।
हमने फिर से राम राज्य आने के सपने देखे थे,
राजतिलक में भर-भरकर फूलों के बंडल फेंके थेll
सुबह होते ही रामराज्य वाला सपना चला गया,
फिर किसानों का राम,सत्ता के रावण से छला गयाll
#अंकित चक्रवर्ती
परिचय:अंकित चक्रवर्ती का साहित्यिक उपनाम-हिन्दी कवि हैl आपकी जन्मतिथि-१० अगस्त १९९८ और जन्म स्थान-ग्राम कटैया हैl वर्तमान में बरेली स्थित सदभावना कॉलोनी में निवासरत हैंl उत्तरप्रदेश के शहर बीसलपुर से रिश्ता रखने वाले अंकित चक्रवर्ती की शिक्षा-विद्युत अभियांत्रिकी हैl कार्यक्षेत्र-अभियांत्रिकी है,तथा सामाजिक क्षेत्र में समाजसेवा करते हैंl लेखन में आपकी विधा-मुख्यतः वीर रस-घनाक्षरी,लावणी,मुक्तक है,जबकि श्रृंगार रस(घनाक्षरी, मुक्तक,गीतिका,कवित्त) में भी रचते हैंl सम्मान में आपको काव्य रत्न छत्तीसगढ़ प्राप्त हुआ हैl ब्लॉग सहित सभी सोशल ल मीडिया पर भी सक्रियता से लिखते रहते हैंl आपके लेखन का उद्देश्य-`जब तक देश से विसंगतियां नहीं मिट जाती,तब तक आक्रोश ही पढूंगा` हैl