वारिसें और सघन और सघन होती हैं,
एक दर्द-सा वो दिल में जगा देती हैं।
मैं अनजान था प्यार से,था न वाकिफ,
तेरी तस्वीर मगर आग लगा देती है।
बूँदों के गिरने से पर्वतों का क्या बिगड़ा,
रहते खामोश हैं,जब-जब वो दगा देती है।
अनजान लड़के जो घूमते हैं गलियों में,
उनकी भाषा है सोहबत का पता देती है।
एक नेता है,जो रहता है मेरे मोहल्ले में,
एक बदनाम-सी औरत है,पता देती है।
#एड.महेन्द्र श्रीवास्तव
परिचय : एडवोकेट महेन्द्र श्रीवास्तव दमोह (म.प्र.)में रहते हैं। आपको लेखन के लिए महेश जोशी स्मृति सम्मान सहित साहित्य मेला इलाहाबाद में भी सम्मानित किया गया है। चित्रगुप्त न्यास दमोह द्वारा भी सम्मानित हैं।