बिन शब्दों के कर्ण अर्थहीन हैं, बिन चुम्बन के अधर शून्य हैंl भुजपाश बिना क्या अर्थ भुजा का, बिन स्वप्नों के नींद अधूरीl भावहीन हृदय किस मतलब का है, बिन संवेदन प्रेम भला क्याl बिन खुशियों के समय बेमानी, प्रेम बिना न गेह सुहाएl प्राणवायु बिन स्वांस न चल पाई, […]