गौओ की रक्षा के लिए,
खुलवा दिया दियोदय,
इंसानों के प्राण रक्षा के लिए,
बनवा दिया भाग्योदय।
हिल मिलकर सब जीव रहे,
अब इस संसार मे।
ऐसे करुणा के भाव रखते,
गुरुवर श्रीविद्यासागर।
उनके चरणों में संजय करता,
बारंबार नमोस्तु नमोस्तु।
इसी तरह से हम सब मिलकर,
करते रहे गुरुचरणों का वंदन।।
जितना भी तुम दान करोगे,
इन सब आदि कामो में।
इससे कही गुना तो
पुण्य यही पर पाओगे।
गुरुवार की ऐसे कृपा से,
जीवन में सुख समध्दि तुम पाओगे।
अच्छे कर्मों का फल तुम सब,
यहाँ भोग कर जाओगे।।
इसलिए संजय कहता है,
जीवा दयोदय आदि से जोड़ जाओ।
और अपने जीवन को,
सेवा भाव में लगाओ।
पूरे जीवन का पुण्य अभी भी,
तुम्हे यही पर मिल सकता है।
बेजुबान प्राणियों की रक्षा में,
तुम आज से लग जाओ।
जीवन सार्थक हो जाएगा,
इन सब कामो को करने से।
गुरुवार से मिल जाएगा आशीष,
तुम्हे इन्ही सब कामों से।।
जय जिनेन्द्र देव की
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।